Saturday, October 11, 2025

काफ़िले रुकते नहीं - पुस्तक समीक्षा - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

 

पुस्तक की झलक

  • नाम: काफ़िले रुकते नहीं (मेरी सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ)

  • लेखक: अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” Sahityapedia

  • प्रकाशन: 9 अगस्त 2021 Sahityapedia

  • प्रकार: हिंदी में काव्य संग्रह, मुख्यतः कविताएँ और विचारोत्तेजक रचनाएँ Sahityapedia

  • पृष्ठ संख्या: लगभग 124 पृष्ठ Sahityapedia


विषयवस्तु और प्रमुख भाव

इस संग्रह की कविताएँ संस्कार, संस्कृति, देश‑प्रेम, सामाजिक बुराइयों का विरोध, आत्म‑विश्वास और आशा से भरी हुई हैं। अगली विशेषताएँ हैं:

  • कविताएँ पाठक को निराशाएँ, संघर्ष और चुनौतियों के बीच भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

  • कई रचनाएँ मनुष्य की हिम्मत, सत्य और कर्म की महत्ता पर जोर देती हैं।

  • संस्कृति‑परंपरा तथा देशभक्ति की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है।

  • भाषा सरल है, भाव गहरे और संवाद‑प्रेरित है; कवि ने आम जीवन के अनुभवों को सहजता से शब्दों में बांधा है।


क्या खास है इस पुस्तक में

  • “काफ़िले रुकते नहीं” शीर्षक ही बताता है कि कविताएँ रुकने, हार मानने या आत्म‑संकोच करने वाले मनोभाव को चुनौती देती हैं।

  • कवि ने सामाजिक बुराइयों, अनैतिकता, मानवता की कमी आदि विषयों पर आवाज उठाई है, जिससे पाठक को सोचने का अवसर मिलता है।

  • संग्रह में ऐसी कविताएँ हैं जो युवा मन को प्रेरित करें और जीवन में बढ़ते रहने की प्रेरणा दें।

  • देश‑प्रेम और सामाजिक चेतना के भाव लेखक की कविताओं को विशिष्ट बनाते हैं।


कमजोरियाँ / सुझाव‑क्षेत्र

  • कुछ कविताएँ भावनात्मक रूप से बहुत तीव्र हैं, जिससे कुछ पाठकों को भारी लग सकती हैं; संतुलन के लिए कुछ हल्के‑फुल्के रचनाएँ भी हो सकती थीं।

  • कुछ जगहों पर भाषा की शैली और शब्दावलियाँ थोड़ी जटिल होती हैं; यदि पाठक कविताएँ नए‑नए पढ़ रहे हों, तो नोट्स या आसान व्याख्या सहायक होगी।


निष्कर्ष

ये संग्रह युवा और वयस्क दोनों के लिए प्रेरणास्पद है। उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी, जो जीवन में सकारात्मकता खोजते हैं, संघर्ष से नहीं डरते, और समाज‑संस्कृति के प्रति सजग हैं। कविता प्रेमी, विद्यार्थी और हिन्दी साहित्य के पाठकों को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।



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