Friday, February 18, 2022

पंछी - स्वयं रचित कविता ( सतबीर सिंह सिद्धू ) - कक्षा - आठवीं "ब " केंद्रीय विद्यालय दप्पर

 पंछी

मृदुल आवाज़ मे गाते पंछी,
उड़ते है गगन में,
धरती पर वे पैर न रखते,
सीधा उड़ जाते है वन में।

नदी का मीठा जल पीकर,
मिठास भरा अन्न खाते वे एक क्षण में,
जहाँ भी जाते प्रेम का रस ढिंढोलते,
लोगों की चाह(उन्हे पास रखने की चाह),
रह जाती है मन में।

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