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Friday, February 18, 2022

CHHATRAPATI SHIVAJI JAYANTI - QUIZ ( KV DAPPAR )

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CHHATRAPATI SHIVAJI JAYANTI - QUIZ 

DRAWING SKILL BY SAMRIDHI AGARWAL OF CLASS 6 A - KV DAPPAR







 

शिक्षक एवं गुरु ! ||| द्वारा नवीन कुमार ||| 8 ब

आप ही है ज्ञान के सागर !
ज्ञान के मानसरोवर !
प्रभु जगद -जगदीश्वर !
शिष्य के लिए परम पिता परमेश्वर !

आपने चलाए शिक्षा के फुंवारे !
आपने बहाई ज्ञान की गंगा !
हमें मिले ज्ञान और शिक्षा !
साथ में हुआ मन चंगा !

आपसे सीखा हमने नांव (पाठ समझना) चलाना !
आपसे सीखा हमने बाण चलाना (उत्तर देना )
आपसे सीखा हमने ज्ञान फेलाना !
ज्ञान से हुई उन्नति !

उन्नति से तकनीक का विस्तार !
तिरंगे का हुआ सम्मान !

सबसे सुंदर होते वन ! ||| द्वारा नवीन कुमार ||| 8 ब

 सबसे सुंदर होते वन,सबसे सुंदर होते वन!

करो कभी इनका गमन !
करने से वन गमन ,खिल उठते है , तन में प्राण !
करने से वन गमन ,शरीर होता स्वास्थ्य से धनवान !

वन के फायदे है,अनेक !
बुद्ध को मिला यहां विवेक !
यहीं से निकले महात्मा विदुर !

महारिश्यों पाई यहां सिद्धि !
उनके ज्ञान में हुई वृद्धि !
यहीं पर लिखा गया वेद !
साथ में वेदांत और अदवैत !
वन से न होना कभी न तुम दूर !
इसके लाभ है अपूर !
धन्यवाद !
-नवीन कुमार

जल से जलेबी जल से मिठास ! द्वारा नवीन कुमार

 सर -सर करके उड़ते पंछी

गा -गा करके गरजता गगन
ड -ड करके डोलती धरती
वन की सुंदरता में बोलती धरती !

सर -सर कर के बहती नदी
जल से फलता मीठा अन्न
अन्न से बनते लड्डू (और जलेबियों की क्या बात)
जलेबी के है,प्रेमी हजार
प्रेमियों की बस एक ही चाह
उन्हें चाहिए रस और मिठास !
धन्यवाद!
-नवीन कुमार

पंछी - स्वयं रचित कविता ( सतबीर सिंह सिद्धू ) - कक्षा - आठवीं "ब " केंद्रीय विद्यालय दप्पर

 पंछी

मृदुल आवाज़ मे गाते पंछी,
उड़ते है गगन में,
धरती पर वे पैर न रखते,
सीधा उड़ जाते है वन में।

नदी का मीठा जल पीकर,
मिठास भरा अन्न खाते वे एक क्षण में,
जहाँ भी जाते प्रेम का रस ढिंढोलते,
लोगों की चाह(उन्हे पास रखने की चाह),
रह जाती है मन में।

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