शिक्षक दिवस 2022 ( औचित्य एवं महत्त्व )
देशभर में सितंबर को हर साल शिक्षक दिवस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. शिक्षकों के लिए इस खास दिन को इसलिए मनाते हैं क्योंकि इस ही दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है. ये दिन सभी शिक्षकों व गुरुओं के लिए खास होता है. इस दौरान देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. भारत में जहां 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है वहीं विदेशों में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है |
शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक दिवस पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. प्राचीन काल से ही गुरूओं का बच्चों के जीवन में बड़ा योगदान रहा है. गुरुओं से मिला ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं. शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों और गुरुओं को समर्पित है. इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है |
भारत में शिक्षक दिवस की शुरुआत
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. वे महान विद्वान होने के साथ ही दार्शनिक भी थे. डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 साल बतौर शिक्षक छात्रों के साथ व्यतीत किया. डॉ. राधाकृष्णन द्वारा भारतीय शिक्षा में सुधार लाने और उसे संवारने में अहम योगदान रहा है. बता दें कि वे देश के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रह चुके हैं. उनकी याद में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है |
दुनिया में शिक्षक दिवस
साल 1994 में यूनेस्कों द्वारा शिक्षकों के सम्मान ने 5 अक्टूबर को विश्वभर में शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा की थी. लेकिन भारत में 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर हम शिक्षक दिवस मनाते हैं. हालांकि भारत के अलावा कई देशों में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, चाइना, जर्मनी, बांग्लादेश, श्रीलंका, यूके, पाकिस्तान, ईरान आदि शामिल हैं. इसके अलावा 11 देश 28 फरवरी को भी टीचर्स डे मनाते हैं |
शिक्षक दिवस के दिन सभी छात्र अपने शिक्षकों व गुरुओं को प्रति आभार व सम्मान प्रकट करते हैं. देशबर के स्कूल, कॉलेज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि दी जाती है. इस दिन स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दिन छात्रों द्वारा स्पीच, कोट्स या कविताओं का पाठ किया जाता है. इस दिन छात्र अपने शिक्षकों को सम्मान जाहिर करते हैं.|
शिक्षक दिवस का इतिहास
राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के एक विद्वान राजनयिक, भारत के उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति और सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं. उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले, उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. वह पढ़ाने से ज्यादा बच्चों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे. वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.|
सन्दर्भ ( REFERENCES ) -
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